आईना शायरी दो लाइन: अक्सर आपने लोगों को आईने से बात करते देखा होगा. कुछ लोग ये बात तब करते हैं जब उन्हें तन्हाई महसूस होती है. लेकिन कुछ लोग इसलिए करते हैं, जिससे लोगों का मन हल्का हो जाए. ऐसे में लोगों को आईने ये जुड़ी शायरी के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप कौन-सी शायरियां आईने पर बोल सकते हैं. पढ़ते हैं आगे..Also Read – एटीट्यूड शायरी 2022: नाम और पहचान चाहे छोटी हो, लेकिन..! पढें एटीट्यूड पर ये 10 शायरियां
आईना शायरी दो लाइन
- आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
गुलज़ार - आईनों को ज़ंग लगा
अब मैं कैसा लगता हूँ
जौन एलिया - आइना ये तो बताता है कि मैं क्या हूँ मगर
आइना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझ में
कृष्ण बिहारी नूर - मिरी जगह कोई आईना रख लिया होता
न जाने तेरे तमाशे में मेरा काम है क्या
ज़ेब ग़ौरी - आइना देख कर वो ये समझे
मिल गया हुस्न-ए-बे-मिसाल हमें
बेख़ुद देहलवी - मुद्दतें गुज़रीं मुलाक़ात हुई थी तुम से
फिर कोई और न आया नज़र आईने में
हनीफ़ कैफ़ी - न देखना कभी आईना भूल कर देखो
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा
बेख़ुद देहलवी - चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो
आइना झूट बोलता ही नहीं
कृष्ण बिहारी नूर - मुश्किल बहुत पड़ेगी बराबर की चोट है
आईना देखिएगा ज़रा देख-भाल के
अमीर मीनाई - देखिएगा संभल कर आईना
सामना आज है मुक़ाबिल का
रियाज़ ख़ैराबादी
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