उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता रहा है. इसकी अर्थव्यवस्था का आधार गोवंश रहा है. आधुनिक तकनीक आने से पहले भारत के खेती-किसानी के पुराने अध्ययन को देखेंगे तो पता चलेगा कि किसान अतीत में धरती से बड़ा उत्पादन लेता रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ को शनिवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राज्य स्तरीय गौ आधारित प्राकृतिक खेती कार्यशाला-2022 को संबोधित कर रहे थे. सीएम ने कहा कि यह कार्यक्रम भारत की आस्था को बचाने और धरती मां को वास्तविक स्वरूप में रखने का अभियान है. कहा कि यूरोप में जब औद्योगिक क्रांति आई और देश गुलामी की तरफ गया तो भारत की परंपरागत खेती-किसानी, आस्था पर प्रहार होने लगा, वहीं से पराभव भी शुरू हुआ. आजादी के बाद हरित क्रांति के जरिए हमने खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त किया, लेकिन इस खेती में प्रयुक्त होने वाले जहरीले रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के दुष्परिणामों से भी बच नहीं पाए.Also Read – उद्योग का हब बनेगा गोरखपुर, गीड़ा ने तैयार किया 2500 करोड़ का निवेश प्लैटफॉर्म, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
सीएम ने अपने जनता दर्शन की चर्चा की. बताया कि इस कार्यक्रम में अक्सर जनता से मिलता हूं. यहां 100 में से 10 प्रार्थना पत्र गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों की आर्थिक सहायता से जुड़ी रहती है. मुख्यमंत्री राहत कोष से पीड़ित को सहायता तो देते हैं, लेकिन मैं बीमारी के कारण को जानना चाहता हूं. इसका कारण खानपान भी है. कुछ ऐसी चीजें जरूर हैं, जो बड़े तबके के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा. जब जवानी का लाभ मानवता, विश्व कल्याण में मिलना चाहिए तो युवा बीमारी से जूझ रहा है. यह चिंता का विषय है. Also Read – Lata Mangeshkar Chowk: सीएम योगी ने अयोध्या में किया लता मंगेशकर चौक का लोकार्पण, कहा 'श्रीराम की नगरी को स्वर कोकिला के नाम से मिला भव्य स्मारक' | देखें वीडियो
ऐसी बीमारियों से बचने के दो माध्यम हैं. भारतीय नस्ल का गोवंश, इसे बचाना और गो आधारित खेती के माध्यम से धरती मां की उर्वरता को बढ़ाकर वास्तविक क्षमता को सुरक्षित व संरक्षित रखने में योगदान देना. यह वर्तमान व भविष्य को बचाने का अभियान है. पीएम ने मिशन मोड पर गौ आधारित प्राकृतिक खेती को लागू किया. यूनियन बजट का हिस्सा बनाया. पीएम ने 2021 में वाराणसी से इस कार्यक्रम को लागू किया. प्रदेश ने भी इस कार्यक्रम से खुद को जोड़ा. प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड के 7 जनपदों में 47 विकास खंड और 11,750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 235 कलस्टर बनाकर गो आधारित प्राकृतिक खेती के लिए बजट के प्रावधान के साथ अनुदान की व्यवस्था प्रारंभ की. Also Read – अयोध्या में Yogi Adityanath का मंदिर बना है सरकारी जमीन पर? अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कसा तंज | Watch Video
सीएम ने कहा कि मां गंगा की अविरलता व निर्मलता को बचाने के लिए इसके तटवर्ती क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती व गो आधारित नर्सरी को प्रोत्साहित करने, औद्यानिक फसलों को बढ़ाने के लिए कार्य भी हो रहा है. गौ आधारित खेती के लिए प्रदेश के 27 जनपदों का चयन किया गया. इस पर प्रदेश सरकार ने 62,200 हेक्टेयर खेती को चिन्हित किया. इसके लिए 1244 कलस्टर विकसित कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के अंतर्गत प्राकृतिक खेती से जोड़ेंगे. इसके साथ 23 जनपद के 39 विकास खंड में 23, 510 हेक्टेयर में 470 कलस्टर बनाकर इसे प्रोत्साहित कर रहे, यानी लगभग एक लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती को सरकार बढ़ा चुकी है. आगे भी सरकार बहुत कुछ करने जा रही है. यहां 4 राज्य कृषि विश्विविद्यालय हैं. प्राकृतिक खेती के सर्टिफिकेशन के लिए लैब की स्थापना को बढ़ाने के निर्देश दिए गए. पहले चरण में इन विश्विद्यालयों के साथ 89 कृषि विज्ञान केंद्रों में सर्टिफिकेशन को बढ़ाकर बेहतर मार्केट उपलब्ध कराना है. हमने तय किया कि प्राकृतिक खेती से अन्न, फल व सब्जी की हर मंडी में बिक्री की विशेष व्यवस्था प्रारंभ की जाए.
(इनपुट- एजेंसी)