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Saturday, March 25, 2023

Durga Puja 2022: दशहरे के दिन मनाई जाती है सिंदूर खेला की रस्म, जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व?

Durga Puja 2022: नवरात्रि के त्योहार की शुरुआत हो गई है और लोग पूरे भक्तिभाव से 9 दिनों तक मां दुर्गा का पूजन करते हैं. बंगाल में नवरात्रि में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व होता है और इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. (Sindoor Khela 2022) दुर्गा में नवरात्रि का आखिरी दिन सबसे खास होता है क्योंकि इस दिन बंगाली महिलाएं सिंदूर खेला की रस्म मनाती हैं. सिंदूर खेला की रस्म दशहरे के दिन मनाई जाती है और इसके पीछे एक महत्वपूर्ण वजह छिपी हुई है. (Shardiya Navratri 2022) आइए जानते हैं आखिर दशहरे के दिन ही क्यों मनाई जाती है सिंदूर खेला की रस्म?Also Read – Navratri 2022: नौवें दिन इस शुभ मुहूर्त में करें मां सिद्धिदात्री की पूजा और यह आरती पढ़ना ना भूलें, माता रानी होंगी प्रसन्न

दशहरे के दिन मनाते हैं सिंदूर खेला की रस्म

हिंदू धर्म में नवरात्रि और दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. देशभर में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण वजह छिपी हुई है. आइए जानते हैं क्या है वजह? Also Read – Navratri 2022 Sandhi Puja: क्या होती है संधि पूजा? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

मां दुर्गा की विदाई

मान्यता है कि दशहरे के दिन मां दुर्गा की धरती से विदाई होती है और इस उपलक्ष्य में सुहागने महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर आशीर्वाद लेती हैं. Also Read – Navratri 2022 Maha Navami Date and Timing: कल मनाई जाएगी महा नवमी, जान लें पूजन विध, इन मंत्रों का करें जाप और पढ़ें ये कथा

पति की लंबी उम्र

सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. फिर मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है.

पारंपरिक नृत्य

सिंदूर खेला के दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को खुश करने के लिए वहां पारंपरिक धुनुची नृत्य करती हैं.

जानें धार्मिक महत्व

सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक म​हत्व भी है. कहा जाता है कि लगभग 450 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था. तभी से लोगों में इस रस्म को लेकर काफी मान्यता है और हर साल पूरी धूमधाम से इस दिन का मनाया जाता है.

मां दुर्गा की मायके से विदाई

कहा जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 9 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और 10वें दिन यानि दशहरे वाले दिन मायके से विदा लेती हैं. इन 10 दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. 10वें दिन मां अपने घर वापस चली जाती हैं.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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