इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को गैंगस्टर अधिनियम के 23 साल पुराने एक मामले में पांच साल की कैद और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई. न्यायमूर्ति डीके सिंह की पीठ ने मुख्तार अंसारी को साल 2020 में लखनऊ की विशेष एमपी-एमएलए अदालत द्वारा इस मामले में बरी किए जाने के निर्णय को पलटते हुए यह सजा सुनाई. शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने बताया कि इस मामले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ वर्ष 1999 में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था. इसके बाद साल 2020 में विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने अंसारी को बरी कर दिया था.Also Read – मुख्तार अंसारी एंबुलेंस केस: डॉ अलका राय के अस्पताल समेत 2.67 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क
फिर 2021 में सरकार ने निचली अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. अदालत ने फैसले में कहा कि चूंकि मुख्तार पहले से ही जेल में है, अतः उसे आत्मसमर्पण करने का आदेश देने की कोई जरूरत नहीं है. थाना प्रभारी हजरतगंज ने 1999 में मुख्तार अंसारी और उसके साथियों के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी थी. Also Read – कानपुर में कोचिंग संस्थान में लगी भीषण आग, 20 से ज्यादा छात्रों को सुरक्षित बाहर निकाला गया
मुख्तार के साथ उसके दर्जन भर से अधिक साथी भी अभियुक्त बनाये गये थे, लेकिन विचारण के दौरान कुछ की मृत्यु हो गई और कुछ साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए. मामले में मुख्तार अंसारी को भी बरी कर दिया गया था. न्यायमूर्ति सिंह ने अपने फैसले में कहा कि विचारण अदालत ने मुख्तार को बरी करने में बड़ी गलती की. अदालत ने कहा, ‘उसके खिलाफ गैंग चार्ट को साबित किया गया था जो कि एक दस्तावेजी साक्ष्य था. मुख्तार एक गैंगस्टर है और तमाम अपराध करता है. यह सबूत उसे गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2/3 के तहत दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त है. Also Read – 'गालीबाज' श्रीकांत त्यागी के समर्थन में प्रदर्शन करने पर 75 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
अदालत ने कहा कि मुख्तार के खिलाफ कई प्राथमिकियां दर्ज हुई और आरोपपत्र भी दाखिल हुए जिनमें एक वह मामला भी है जिसमें लखनऊ जेल के तत्कालीन अधीक्षक आर के तिवारी की हत्या की गयी थी. अदालत ने कहा कि किसी मामले में सजा होना या बरी हेाना गैंगस्टर के आरेापों के लिए मायने नहीं रखता है. गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी को बीते बुधवार को जेलर को धमकाने और उस पर पिस्टल तानने के मामले में भी सात साल की सजा सुनाई गई थी.
(इनपुट: भाषा)