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Tuesday, June 6, 2023

Navratri 2022: सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें पूजन विधि और जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, आरती और मंत्र

Navratri 2022 7th Day: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है और इस दौरान भक्तजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों तक व्रत-उपवास करते हैं. पंचांग के अनुसार आज यानि 2 अक्टूबर को नवरात्रि की सप्तमी तिथि है और (Maa Kalratri Puja) इस दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप का पूजन किया जाता है. कहते हैं विधि-विधान के साथ मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी नकारात्मक ऊर्जाओं समाप्त हो जाती हैं. उनकी पूजा करते समय कथा, आरती और मंत्र जरूर पढ़ने चाहिए. इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और जातकों को अपना आशीर्वाद देती हैं.Also Read – Navratri 2022: नौवें दिन इस शुभ मुहूर्त में करें मां सिद्धिदात्री की पूजा और यह आरती पढ़ना ना भूलें, माता रानी होंगी प्रसन्न

मां कालरात्रि कथा

मां कालरात्रि देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं, मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है. चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं. मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था. Also Read – Navratri 2022 Sandhi Puja: क्या होती है संधि पूजा? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

मां कालरात्रि पूजन विधि

नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें, फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं. मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें. इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें. Also Read – Navratri 2022 Maha Navami Date and Timing: कल मनाई जाएगी महा नवमी, जान लें पूजन विध, इन मंत्रों का करें जाप और पढ़ें ये कथा

मां कालरात्रि के मंत्र

‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:.’

मंत्र-

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा.
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

मां कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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