Navratri 2022 Garba and Dandiya: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस बार नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो गई है और 4 अक्टूबर तक रहेंगे. (Shardiya Navratri 2022 Pujan Vidhi) नवरात्रि के दिनों में मंदिरों से लेकर बाजार तक हर तरफ रौनक देखने को मिलती है. इसी दौरान गरबा व डांडिया की भी धूम देखी जाती है. गरबा व डांडिया देश के कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है (Garba and Dandiya) और इसके पीछे एक धार्मिक महत्व जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं गरबा और डांडिया में क्या है अंतर और इसका महत्व?Also Read – Navratri 2022: नौवें दिन इस शुभ मुहूर्त में करें मां सिद्धिदात्री की पूजा और यह आरती पढ़ना ना भूलें, माता रानी होंगी प्रसन्न
गरबा और डांडिया में क्या अंतर है?
देश में कई हिस्सों में नवरात्रि के दौरान गरबा व डांडिया खेला जाता है. जो कि दो अलग तरह के नृत्य हैं और दोनों के बीच एक छोटा सा अंतर है. गरबा मां दुर्गा की आरती से पहले किया जाता है, जबकि डांडिया मां दुर्गा की आरती के बाद खेला जाता है. डांडिया के लिए दो स्टिक की जरूरत होती हैं जिनका इस्तेमाल नृत्य के लिए किया जाता है. वहीं गरबा के लिए आपको किसी प्रकार के अन्य सामान की जरूरत नहीं है. इस नृत्ये में हथेलियों का उपयोग होता है. Also Read – Navratri 2022 Sandhi Puja: क्या होती है संधि पूजा? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
गरबा और डांडिया का धार्मिक महत्व
गरबा और डांडिया दोनों ही नृत्य मां दुर्गा की अराधना के लिए किए जाते हैं लेकिन इनके पीछे एक धार्मिक महत्व जुड़ा हुआ है. गरबा की बात करें तो यह नृत्य मां दुर्गा की आरती से पहले उनकी प्रतिमा के पास जलाई गई ज्योत के पास किया जाता है. यह नृत्य ज्योत के पास एक गोले में किया जाता है जो कि जीवन के गोल चक्र का प्रतीक है. Also Read – Navratri 2022 Maha Navami Date and Timing: कल मनाई जाएगी महा नवमी, जान लें पूजन विध, इन मंत्रों का करें जाप और पढ़ें ये कथा
वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार डांडिया मां दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध को प्रदर्शित करता है. डांडिया में उपयोग होने वाली रंगीन डंडियां मां दुर्गा की तलवार मानी जाती है और इसलिए इसे तलवार नृत्य भी कहा जाता है. गरबा व डांडिया के जरिए भक्तजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं.
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