Navratri 2022: नवरात्रि (Navratri 2022) शुरू हो गई है. देशभर के मंदिरों में मां के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. इस बार नवरात्रइ 26 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक हैं. हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. शारदीय नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. नौ दिनों तक श्रद्धालु घर में अखंड ज्योति जलाते हैं और कलश स्थापित करते हैं. नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु मां के पावन मंदिरों में दर्शन और पूजा के लिए जाते हैं. इस नवरात्रि आप अपने परिवार के साथ दिल्ली में स्थित कालकाजी मंदिर ((KALKAJI TEMPLE IN HINDI) के दर्शन कर सकते हैं.Also Read – Navratri 2022: नौवें दिन इस शुभ मुहूर्त में करें मां सिद्धिदात्री की पूजा और यह आरती पढ़ना ना भूलें, माता रानी होंगी प्रसन्न
इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान दिल्ली के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. कहा जाता है कि यह मंदिर यहां पिछले 3 हजार सालों से स्थित है. पौराणिक मान्यता के हिसाब से यह मंदिर यहां महाभारत काल से है. कालकाजी मंदिर को देश के 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है. मंदिर को जयंती पीठा’ या ‘मनोकामना सिद्ध पीठा’ नाम से भी जाना जाता है.इस मंदिर में पूरे सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने आद्याशक्ति मां काली की यहां पूजा की थी. उनसे युद्ध में विजयी होने का वर प्राप्त किया था. युद्ध में विजयी होने पर पांचों पांडवों ने देवी की फिर अराधना की थी. Also Read – Roopkund Lake Uttarakhand: ये है नर कंकालों की झील, दुनियाभर से इसे देखने आते हैं सैलानी
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इस मंदिर में कुल बारह द्वार हैं जो द्वादश आदित्यों और बारह महीनों का संकेत देते हैं. यह मंदिर अरावली पर्वत श्रृंखला के सूर्यकूट पर्वत पर विराजमान है. अनादि काल से अस्तित्व में होने की वजह से इस मंदिर की बहुत महिमा है. मौजूदा मंदिर बाबा बालक नाथ ने स्थापित किया था. उनके कहने पर मुगल सम्राज्य के कल्पित सरदार अकबर शाह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था. यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण ने भी पांडवों के साथ भगवती की अराधना की थी. बाबा बालकनाथ ने इस पर्वत पर तपस्या की थी जिस पर उन्हें मां ने साक्षात दर्शन दिये थे. इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं का तांता लगता है और सभी लोग मां की विशेष पूजा-अर्चना के लिए यहां पहुंचते हैं.